BABRI MASZID विध्वंस देखा सबने, सजा किसी को नहीं

BABRI MASZID

BABRI MASZID विध्वंस देखा सबने, सजा किसी को नहीं:मस्जिद ढहाने के 32 साल गुजरे, विध्वंस से फैसले तक की कहानी

 

3 दिसंबर, 1992, शाम करीब साढ़े 4 बजे का वक्त था। कुछ पत्रकार अयोध्या में बाबरी मस्जिद के करीब बने मंच के पास पहुंचे। वहां ट्यूबवेल लगा हुआ था। कारसेवक पाइपलाइन बिछाने के लिए गड्ढा खोद रहे थे। जहां कारसेवा होनी थी, वहां तक पानी पहुंचाना था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा रखा था। यानी विवादित ढांचे के परिसर में कुछ नहीं हो सकता था।

पत्रकारों ने कारसेवकों से पूछा, आप जो कर रहे हैं इसके लिए कोई आदेश है? ये सुनते ही कारसेवक भड़क गए।

भीड़ से बचते हुए पत्रकार, पर्यवेक्षक डिस्ट्रिक्ट जज प्रेम शंकर गुप्ता के पास पहुंचे। प्रेम शंकर को सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया था। उन्होंने तुरंत DM को बुलाया और मौके पर पहुंचे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *