TELENGANA क्या पूर्व CM के बेटे ने तेलंगाना में करवाई हिंसा

TELENGANA क्या पूर्व CM के बेटे ने तेलंगाना में करवाई हिंसा:फार्मा विलेज प्रोजेक्ट से भड़के किसान; अफसरों को डंडों से पीटा, गाड़ियां तोड़ीं

 

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TELENGANA के लागाचरला गांव में उस दिन भीड़ जुटी थी। तारीख थी 11 नवंबर, 2024। सरकार आसपास के गांवों की जमीनें फार्मा विलेज के लिए लेना चाहती है। किसानों को डर है कि इससे जमीन और पानी जहरीला हो जाएगा और उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ेगा।

लागाचरला गांव विकाराबाद जिले में आता है। कलेक्टर प्रतीक जैन और एडिशनल कलेक्टर वेंकट रेड्डी साथी अफसरों के साथ किसानों से जमीन अधिग्रहण पर बात करने गए थे। ये मीटिंग गांव के बाहर होनी थी। गांव वालों ने वहां जाने से इनकार कर दिया और अफसरों को गांव में बुलाया।

दोपहर एक बजे अधिकारी गांव पहुंचे, बातचीत शुरू भी नहीं हुई थी कि गांव वालों ने उन पर हमला कर दिया। बचने के लिए सभी अधिकारी कार में बैठकर गांव से निकलने लगे, तो उन पर पत्थर और डंडे बरसाए गए। गाड़ियों से खींचकर पीटा गया। इसके वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें दिख रहा है कि भीड़ सड़क से बड़े-बड़े पत्थर उठाकर अफसरों की गाड़ियों पर फेंक रही है। ये वीडियो गांव वालों ने ही बनाए थे।

 

 

 

 

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मामले में ट्विस्ट तब आया जब पुलिस ने दावा किया कि इस विरोध और हमले के पीछे तेलंगाना की विपक्षी पार्टी भारत राष्ट्र समिति के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव का हाथ है। KTR के नाम से मशहूर केटी रामाराव पूर्व CM के. चंद्रशेखर राव के बेटे हैं।

पुलिस ने पार्टी के पूर्व विधायक पटनम नरेंद्र रेड्डी और यूथ विंग से जुड़े बोगामनी सुरेश को मुख्य आरोपी बनाया है। नरेंद्र रेड्डी ही KTR तक हर अपडेट पहुंचा रहा था।

किसानों को डर- फार्मा विलेज बनने से जमीनें बंजर हो जाएंगी आखिर गांव वालों ने अफसरों पर हमला क्यों किया, ये साजिश है या जमीन छिनने के डर से उपजा गुस्सा, इस हमले के पीछे कौन है? इन सवालों का जवाब ढूंढने दैनिक भास्कर हैदराबाद से 125 किमी दूर लागाचरला गांव पहुंचा।

लागाचरला गांव मेन रोड से करीब 4 किमी अंदर है। सरकार यहां 1,350 एकड़ में स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाना चाहती है। लागाचरला गांव के साथ ही हकीमपेटा, पोलेपल्ली, आरबी थांडा, पुलीचेरला, ईरलापल्ली थांडा और आसपास के कुछ गांवों के किसान इसका विरोध कर रहे हैं। उनका विरोध यहां बनने वाले फार्मा विलेज की वजह से है।

गांव वालों का कहना है कि फार्मा प्रोजेक्ट आने से यहां रिसर्च लैब खुलेंगी। इनसे निकलने वाले केमिकल की वजह से आसपास के गांवों की हवा और पानी जहरीला हो जाएगा। कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ेंगी। फसलें खराब होंगी और जमीन बंजर हो जाएगी। आज नहीं तो कल उन्हें घर छोड़कर जाना पड़ेगा।

अफसरों पर हमले के बाद महिलाएं और मर्द भागे, बच्चे और बुजुर्ग ही बचे कलेक्टर समेत बड़े अफसरों पर हमले के बाद सरकार और पुलिस एक्शन में आ गई। 22 लोगों के खिलाफ नामजद और 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया।

हम सुबह करीब 11 बजे लागाचरला गांव पहुंचे। गांव में सन्नाटा पसरा था। कुछ बच्चे और बुजुर्ग ही घरों के बाहर बैठे मिले। आधा घंटा घूमने के बावजूद एक भी महिला या पुरुष नजर नहीं आया। घरों के दरवाजे भी खटखटाए, लेकिन कोई बाहर नहीं निकला।

गांव के चौक पर शिव मंदिर बना है। यहां कुछ बुजुर्ग बैठे मिले। इन्हीं में शामिल कृष्णाया बताते हैं, ‘सरकार करोड़ों का कारोबार खड़ा करना चाहती है, लेकिन हमें एक एकड़ जमीन के बदले 9-10 लाख रुपए दे रही है। यहां की मिट्टी बहुत उपजाऊ है। हम साल में एक एकड़ से 5 से 7 लाख रुपए की फसल पैदा कर लेते हैं। जमीन लेकर सरकार हमारे हाथ-पैर काटना चाहती है।’

 

 

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गांव के लोगों पर आरोप है कि उन्होंने भारत राष्ट्र समिति के नेताओं के कहने पर अफसरों पर हमला किया। इस बारे में कृष्णाया कहते हैं, ‘हमें किसी ने पैसे नहीं दिए। हमला करने वाले नशे में धुत थे। उनका हमारे गांव से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार जानबूझकर हमारे लोगों को पकड़ रही है। हम किसी पार्टी में नहीं हैं।’

 

कृष्णाया बताते हैं, ‘जो वीडियो सामने आया, वो कहानी का एक हिस्सा है। अधिकारी हमें धमका रहे थे कि किसी भी हाल में जमीन लेंगे। इसी से लोग भड़के और हमला कर दिया। आपको जमीन लेनी है, तो शांति से बात करनी चाहिए। हमें नहीं पता कि कलेक्टर के साथ किसने मारपीट की है। पुलिस एक हफ्ते से रात में छापे मार रही है। मर्दों को उठाकर जेल में ठूंस दिया है।’

 

कृष्णाया आगे कहते हैं, ‘जिसे भी पुलिस ने पकड़ा, उससे पूछा भी नहीं कि उस दिन गांव में थे या नहीं। इसीलिए गांव के ज्यादातर जवान लड़के घर छोड़कर भाग गए हैं। उन्हें डर है कि गांव में आते ही अरेस्ट कर लिया जाएगा। डेढ़ हजार की आबादी वाले गांव में अब सिर्फ 25-30 बुजुर्ग बचे हैं। महिलाएं भी घर छोड़ कर जा रही हैं। भरोसा नहीं है, कल को पुलिस उन्हें भी अरेस्ट कर ले।’

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दूसरे गांवों की जमीन बंजर हुई, इसलिए विरोध में आए लोग गांव के पूर्व सरपंच सी. कृष्णैया कांग्रेस से जुड़े हैं। वे खुद को CM रेवंत रेड्डी का करीबी बताते हैं। सी. कृष्णैया बताते हैं, ‘फार्मा विलेज के बारे में पता चलते ही आसपास के 6 गांव के लोग राज्य में पहले से चल रहे स्पेशल इकोनॉमिक जोन देखने गए।’

‘वहां पता चला कि जहां भी कोई फार्मा कंपनी है, उसके आसपास के ज्यादातर गांव खाली हो चुके हैं। लोग घर छोड़कर चले गए हैं। पानी और हवा जहरीली हो गई है। इससे वे डर गए। धीरे-धीरे ये डर पूरे गांव में फैल गया।’

‘लोकसभा चुनाव से पहले लोग मेरे पास आए थे। तब एक डेलिगेशन बनाकर हम मुख्यमंत्री से मिले। उन्हें बताया कि हम फार्मा विलेज से खुश नहीं है। अगर ये हमारे फायदे के लिए है, तो गांव में कुछ साइंटिस्ट और अफसरों को भेजकर इसके फायदे बताए जाएं। इससे लोगों का विरोध कम होगा और सरकार पर भरोसा बनेगा। उन्होंने कहा कि ये ग्रीन फार्मा विलेज होंगे और इनसे लोगों को फायदा होने वाला है। इसके बाद हम लौट आए।’

‘सस्ते लेबर के चक्कर में UP-बिहार वालों को मिलेगी नौकरी’ सी. कृष्णैया आगे कहते हैं, ‘फार्मा विलेज से न सिर्फ हमारी जमीनें जाएंगी, बल्कि हमारे लोगों को काम भी नहीं मिलेगा। सस्ते लेबर के चक्कर में कंपनियां UP-बिहार के लोगों को हायर करेंगी। सभी को लगता है कि मैं अपनी पार्टी की वजह से प्रोजेक्ट का समर्थन कर रहा हूं। मैं क्लियर करना चाहता हूं कि मैं गांव के लोगों के साथ खड़ा हूं। प्रोजेक्ट से मेरे बच्चों की सेहत भी खराब होगी।’

कुछ आगे बढ़ने पर हमें एस. बालना मिलीं। वे खेत में गेहूं काट रही थीं। बालना कहती हैं, ‘ये शायद मेरी आखिरी खेती है। मेरा 8 लोगों का परिवार है। हमारे पास सिर्फ ये खेत ही हैं। अगर इन्हें भी छीन लेंगे, तो हम कहां जाएंगे। मुआवजे के नाम पर कुछ नहीं दे रहे हैं।’

बालना आगे कहती हैं, ‘हमारे बच्चे सिर्फ खेती करते हैं। उन्होंने किसी पर हमला नहीं किया। इसके बावजूद वे डर की वजह से घर में नहीं रुक रहे हैं। पुलिस ने उनके दोस्तों को पकड़ लिया है। मुझे डर है कि मेरे बच्चों को भी ले जाएंगे।

 

अफसरों पर हमले के बाद पुलिस ने 65 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट किया है। उन पर पब्लिक सर्वेंट पर हमले और सरकारी काम में रुकावट डालने का केस दर्ज किया गया है। आरोपियों की पहचान हमले की फुटेज से हुई है।

दैनिक भास्कर के पास आरोपियों की रिमांड कॉपी है। इसमें तेलंगाना पुलिस ने दावा किया है कि गवाहों के बयान के अलावा मुख्य आरोपी बोगामनी सुरेश, विशाल और 4 अन्य आरोपियों के इकबालिया बयान से पता चला कि घटना के पीछे कोडंगल विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक पटनम नरेंद्र रेड्डी का हाथ है। सुरेश भी BRS की यूथ विंग से जुड़ा है।

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नरेंद्र रेड्डी ने हकीमपेट, पोलेपल्ली, रोटीबंदा थांडा, पुलीचेरला थांडा, लागाचरला के किसानों को भड़काने, उन्हें फाइनेंशियल सपोर्ट देने में बड़ी भूमिका निभाई है। इसलिए उसे मुख्य आरोपी बनाया गया है। कोडंगल मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का विधानसभा क्षेत्र है। नरेंद्र रेड्डी ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ा था।

आरोप है कि नरेंद्र रेड्डी ने आरोपी बोगामनी सुरेश को गांवों में भेजा और किसानों के दिमाग में ये बात डाली कि सरकार के फैसले से उन्हें नुकसान होगा। रेड्डी ने अफसरों पर हमले और काम रुकवाने की साजिश रची। 13 नवंबर की सुबह नरेंद्र रेड्डी को हैदराबाद में उनके घर से अरेस्ट किया गया।

BRS चीफ के इशारे पर हिंसा के सबूत मिले रिमांड शीट के मुताबिक, नरेंद्र रेड्डी ने कबूल किया है कि उसने सरकार को अस्थिर और बदनाम करने के लिए लोगों को उकसाया। इसके लिए उसे पार्टी चीफ केटी रामाराव से निर्देश मिला था। नरेंद्र ने घटना के बारे में पूरी जानकारी केटी रामाराव को भी भेजी थी।

पुलिस के मुताबिक, नरेंद्र रेड्डी घटना से पहले और बाद में लगातार आरोपी नंबर 2 यानी सुरेश से फोन पर बात कर रहा था। सबूत के तौर पर नरेंद्र रेड्डी की कॉल डिटेल भी अदालत में पेश की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 70 दिनों में बोगामनी सुरेश और नरेंद्र के बीच 84 बार बात हुई थी। पुलिस ने शुरुआत में सुरेश को मुख्य आरोपी बताया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद सुरेश की जगह नरेंद्र को आरोपी बना दिया गया।

पुलिस का दावा– हिंसा में ऐसे लोग शामिल, जिनकी जमीनें भी नहीं पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस केस में जल्द ही केटी रामाराव पर भी कार्रवाई हो सकती है। रामाराव और नरेंद्र रेड्डी के बीच बातचीत के सबूत हैं। पुलिस को यह भी पता चला है कि केटी रामाराव इस अधिग्रहण के खिलाफ राज्य में आंदोलन करना चाहते थे। पूछताछ में नरेंद्र ने कबूल किया है कि कब और कैसे विरोध करना है, इसका ब्लू प्रिंट रामाराव की ओर से दिया गया था।

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस हिंसा को बड़ी साजिश मानकर जांच कर रही है। अब तक गिरफ्तार 65 लोगों में से 23 ऐसे हैं, जिनकी जमीन फार्मा विलेज प्रोजेक्ट में नहीं है।

केटी रामाराव बोले- मैं किसानों के साथ, सिर ऊंचा करके जेल जाऊंगा रिमांड कॉपी में नाम आने के बाद भारत राष्ट्र समिति के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने कहा कि अगर आप मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं, तो करें। मैं तेलंगाना के किसानों के साथ खड़े होने के लिए सिर ऊंचा करके जेल जाऊंगा।

उन्होंने आगे कहा, ‘यह झूठा और मनगढ़ंत मामला है। मैं CM रेवंत रेड्डी से कहना चाहता हूं कि आप मुझे गिरफ्तार कर लें, लेकिन जेल में बंद 21 गरीब किसानों को रिहा किया जाना चाहिए। मैं CM रेवंत से कहना चाहता हूं कि वे किसानों की जमीन हड़पना बंद करें। केटी रामाराव ने ये भी आरोप लगाया कि रेवंत रेड्डी अपने दामाद सत्यनारायण रेड्डी की फार्मा कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों की जमीन हड़प रहे हैं।

 

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CM रेड्डी के भाई बोले- फार्मा विलेज का काम नहीं रुकेगा किसानों के विरोध के बावजूद सरकार फार्मा विलेज का काम नहीं रोकेगी। CM रेवंत रेड्डी के भाई तिरुपति रेड्डी ने 13 नवंबर को कहा कि सरकार कोडंगल में फार्मा विलेज प्रोजेक्ट से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने हमले के शिकार हुए अफसरों से भी बात की।

तिरुपति रेड्डी के बयान के जवाब में केटी रामाराव ने कहा कि तिरुपति रेड्डी कोडंगल के शेडो MLA हैं। वही कोडंगल में हुकूमत चला रहे हैं और किसी भी कीमत पर गरीब किसानों की हजारों एकड़ जमीन लेने की सरकार की मंशा जाहिर कर रहे हैं।

विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारी BRS, किसानों के जरिए वापसी की कोशिश 2013 में तेलंगाना बनने के बाद 10 साल तक BRS के चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री रहे। पहले उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति थी, जिसे उन्होंने बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया। 2023 के चुनाव में पार्टी बुरी तरह हारी। 119 सीटों में से 64 सीटें जीतकर कांग्रेस ने बहुमत से सरकार बनाई। चंद्रशेखर राव की पार्टी सिर्फ 39 सीटें जीत पाई।

चंद्रशेखर राव की कोशिशों की वजह से ही अलग तेलंगाना राज्य बना था। खराब सेहत की वजह से वे राजनीति में पहले की तरह एक्टिव नहीं हैं। उनके बेटे केटी रामाराव पार्टी संभाल रहे हैं। पार्टी किसानों के जरिए प्रदेश में वापसी करना चाह रही है।

 

 

 

 

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